पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के अपराध अंतर्गत पिता की पहचान प्रासंगिक नहीं है। अगर वह बच्चे का पिता नहीं होगा तो क्या तो वह बलात्कार के आरोप से मुक्त हो जायेगा। हम बिना विचार किए बच्चे की डीएनए जांच की अनुमति नहीं दे रहे।
दरअसल, आरोपी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राम भदौरिया ने कहा कि सलीम ने 25 जून 2021 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने सुलतानपुर सत्र अदालत के फैसले को पलट दिया था। सुलतानपुर सत्र अदालत ने बच्चे की डीएनए जांच कराने का आदेश दिया था।
वहीं, आरोपी ने कहा कि उस पर जबरन आरोप लगाया जा रहा है कि वह बच्चे का पिता है। याचिका में कहा गया है कि आरोप है कि FIR दर्ज होने की तारीख से सात महीने पहले किशोर आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ उसके परिवार वालों के सामने ही रेप किया था। बताया गया है कि पीड़ित एवं आरोपी, दोनों का परिवार एक ही गांव में रहता है और एक दूसरे के पड़ोसी है।